देवस्थानम बोर्ड समाप्त करने का विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पेश
देवस्थानम बोर्ड समाप्त करने का विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पेश
देहरादून। सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार को सदन में उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन (निरसन) विधेयक समेत नौ विधेयक प्रस्तुत किए। इस विधेयक के कानूनी शक्ल लेने के बाद संयुक्त प्रांत श्री बदरीनाथ मंदिर अधिनियम, 1939 प्रभावी हो जाएगा। सदन में 1359.79 करोड़ की दूसरी अनुपूरक मांगों को भी पेश किया गया।
उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 को वापस लेने की दिशा में सरकार ने कदम और आगे बढ़ा दिया। विधानसभा में आज इस अधिनियम को निरस्त करने के लिए विधेयक प्रस्तुत किया गया है। इस विधेयक में ही पुरानी व्यवस्था की बहाली यानी संयुक्त प्रांत श्री बदरीनाथ मंदिर अधिनियम, 1939 को पुनर्जीवित करने का प्रविधान भी है। देवस्थानम अधिनियम लागू होने के बाद यह निरस्त हो गया था।
चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और इसके तहत गठित देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर चारधाम के तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। अब चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में पूर्व व्यवस्था बहाल हो जाएगी। निरसन के लिए सदन के पटल पर रखे गए विधेयक के अधिनियम का रूप लेने तक मौजूदा अधिनियम के तहत व्यवस्थाएं प्रभावी रहेंगी।
नए अधिनियम के उपबंधों के अधीन उन्हें संशोधित, निरसित या निलंबित किए जाने तक उन्हें बहाल माना जाएगा। साथ में इस अधिनियम के अधीन समुचित प्राधिकारी समस्त लंबित कार्यवाही नियमित रूप से निस्तारित करेंगे।
----------------------
27 वीं बार प्रश्नकाल में सभी प्रश्न उत्तरित
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान सदन में विधायकों की ओर से पूछे गए सभी तारांकित प्रश्न उत्तरित हुए। वर्तमान विधानसभा के अब तक के सत्रों में ऐसा 27वीं बार हुआ है। सभी प्रश्न उत्तरित होने पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने पीठ से इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह एक रिकार्ड है। उन्होंने इसके लिए सभी सदस्यों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान विधानसभा के अब तक के 68 में से 27 उपवेशनों में कार्यसूची में अंकित सभी तारांकित प्रश्नों का उत्तरित होने का उत्तराखंड विधानसभा का रिकार्ड तोड़ना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होगा। जब भी यह रिकार्ड टूटेगा, वह सबसे अधिक खुश होंगे, क्योंकि यह इस बात का द्योतक होगा कि उत्तराखंड की वर्तमान विधानसभा द्वारा बनाई गई नजीर अन्य विधायिकाओं तक भी पहुंची और संसदीय लोकतंत्र मजबूत हुआ। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों को साधुवाद देते हुए आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी यह स्वस्थ परंपरा कायम रहेगी।