भाजपा को उठाना पड़ सकता है निगम चुनाव में नुकसान
BJP may have to bear the loss in corporation elections
चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावों में भाजपा को इस बार एंटी इंकंबेंसी का नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार विभिन्न वर्गों की वोटों का आंकड़ा भी पार्टी के हक में दिखाई नहीं दे रहा। पार्टी के बड़े नेता कह रहे हैं कि चंडीगढ़ के लोग वर्ग या जात पात देखकर वोट नहीं करते इसलिए भाजपा को 2016 के निगम चुनावों की तुलना में इस बार ज्यादा सीटें मिलेंगी। नगर निगम में दो साल पहले जुड़े 13 गांव के वोट भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। पिछले निगम चुनावों में हाशिये पर गई कांग्रेस को इन चुनावों में फायदा मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों की दलील है कि जहां भाजपा को अकाली दल से अलग होने का नुकसान हो सकता है वहीं पर मुसलमानों के वोट, 13 गांवों के लोगों के वोट, क्रिश्चयन वोट व अनुसूचित जाति व अन्य कई वर्गों का भी भाजपा को बड़ा डैंट पहुंच सकता है। 13 गांव से जुड़ी आबादी किसान आंदोलन के चलते भाजपा से नाराज दिखाई दे रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने फैसला वापिस ले लिया है लेकिन अभी जट्ट सिखों की बड़ी आबादी जो किसानी करती है, पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाई है। स्वच्छता के क्षेत्र में 66वां रैंक लोगों के गले नहीं उतर रहा।
लोगों की दलील है कि चंडीगढ़ जैसा शहर अगर इस पायदान पर रहे तो बाकि कामों का अनुमान लगाया जा सकता है। इसी तरह पानी व सीवरेज के रेट निगम हाउस में पास होने के बाद भी घटाए नहीं गए। प्रशासन ने भाजपा के इस एजेंडे को चुनाव से पहले फलाप कर दिया जिसका लोगों में जबरदस्त रोष है। भाजपा सात साल के दौरान केंद्र व चंडीगढ़ की सत्ता में रहते हुए भी कई मसलों का निवारण नहीं करवा सकी हालांकि वह अब डबल इंजन की सरकार का दावा कर रही है। वैसे कांग्रेस भी कुछ मुद्दों का समाधान नहीं करा पाई थी जिसमें नीड बेस्ड चेंज, इंडस्ट्री, रिहायशी व व्यापारियों का लीज होल्ड से फ्री होल्ड मसला, गांवों में लाल डोरे का मामला, डड्डूमाजरा वेस्ट प्लांट का मसला प्रमुख थे। भाजपा से जुड़ा रहा व्यापारी वर्ग भी इस बार बंटा नजर आ रहा है।
नगर निगम चुनाव 24 दिसंबर को हैं। रिजल्ट 27 दिसंबर को आएगा। सभी पार्टियों ने प्रचार में ताकत झोंकी। स्टार प्रचारक जोर शोर से जुटे रहे। नतीजे बताएंगे कि कौन सी पार्टी कितने पानी में हैं।
आप की हो सकती है अच्छी शुरुआत
आप भी इस बार के निगम चुनाव में अच्छी पारी की शुरुआत कर सकती है। अनुमान है कि किए जा रहे आंकलन से पार्टी ज्यादा सीटें हासिल कर सकती है। बीते लोकसभा चुनावों में हालांकि आप के प्रत्याशी रहे हरमोहन धवन को वोटरों ने पूरी तरह हाशिये पर धकेल दिया था। 2014 लोकसभा चुनावों में आप की उम्मीदवार गुल पनाग से भी कम वोट धवन के हाथ लगे थे। लेकिन इस बार पार्टी अपना नंबर बढ़ा सकती है।
शिअद-बसपा की साख भी ताक पर
शिअद और बसपा गठबंधन पर भी इन चुनावों में काफी कुछ निर्भर करता है कि वह पिछली स्थिति कायम रख पाते हैं या नहीं। इससे पहले शिअद-भाजपा का गठबंधन था जिसमें अकाली दल ने कुछ सीटों पर कब्जा किया था। इसी प्रकार बसपा का भी कब्जा कुछ सीटों पर रहा है। इस बार दोनों दलों की साख ताक पर है कि कितनी सीटें इनके हाथ लगती हैं।
भाजपा का दावा, पहले से ज्यादा सीटें आएंगी
भाजपा के अध्यक्ष अरुण सूद सहित अन्य वरिष्ठ नेता दावा कर रहे हैं कि बीते निगम चुनाव की तुलना में उनकी ज्यादा सीटें आएंगी और पूर्ण बहुमत के साथ निगम की सत्ता पर काबिज होगी। मेयर भी उन्हीं का बनेगा।