आचार्यश्रीतुलसी एक ऐसा आकाश जिसे नही नापा जा सकता: महामहिम

आचार्यश्रीतुलसी एक ऐसा आकाश जिसे नही नापा जा सकता: महामहिम

आचार्यश्रीतुलसी एक ऐसा आकाश जिसे नही नापा जा सकता: महामहिम

आचार्यश्रीतुलसी एक ऐसा आकाश जिसे नही नापा जा सकता: महामहिम

कहा जैन धर्म गुणों की खान

जैन मुनि और अभयमुनि की विशिष्ट और विश्वामित्र से की तुलना

चंडीगढ, 8 नवंबर : आज जैन मुनिविनयकुमारजीआलोक का सानिध्य और आप सभी का सानिध्य पाकर मैं अपने आपको बहुत ही शौभाज्यशाली समझ रहा हूं। भारत भूमि युग पुरुषों की भूमि है। यहाँ प्रत्येक कालखंड में किसी न किसी ऐसे सनातन व्यक्तित्व ने जन्म लिया, जिसके बोध पाठ ने उस युग को सँवारा, अपनी शाश्वत उपस्थिति से समग्र मानवता का मार्गदर्शन किया और उनका अवबोध समग्र मानव जाति के लिए सनातन मार्गदर्शन बन गया। विभिन्न युग पुरुषों की श्रृंखला में ऐसे ही एक युग पुरुष हुए हैं आचार्य श्री तुलसी। मैं तेरापंथ धर्मसंघ से बहुत प्रभावित हूं और उसका बहुत सम्मान करता हूं। ये शब्द पंजाब के महामहिम व चंडीगढ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने आचार्यश्रीतुलसी के 108वें जन्म दिवस के  अवसर पर अणुव्रत भवन सैक्टर 24सी केे विशाल ग्राउंड मे कहे।

इस अवसर पर सैंकडों की संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने अपनी सहभागिता दर्ज की। जिनमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि कई जगहों से श्रावक श्राविकाओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का आरंभ प्रज्ञा जैन ने अणुव्रत गीत से किया। 

महामाहिम ने गुरूओं के संदर्भ मे चर्चा करते हुए जैन मुनि और अभयमुनि की तुलना विशिष्ट जी और विश्वामित्र से करते हुए कहा हमारी संस्कृति कभी समाप्त नही हो सकती। ये सदा नवीनतम है। महामहिम ने कहा मैं दो दिन पहले नागपुर मे था लेकिन मुझे मुनिश्री के प्यार, स्नेह और जैन समाज का प्यार मुझे खींच लाया। महामहिम ने आगे कहा आचार्यश्रीतुलसी परम आध्यात्मिक, मानवता के मसीहा, एक संपूर्ण विभूति थे। यदि कृष्ण की अनासक्ति, राम की मर्यादा, महावीर की मैत्री, बुद्ध की करुणा, कबीर का अंतर्दर्शन, सूफियों सा प्रेम, गाँधी के जनवादी दृष्टिकोण का समन्वित रूप में साक्षात्कार करना है तो आचार्य श्री तुलसी का जीवन और जीवन दर्शन उसका सम्यक समन्वित स्वरूप प्रस्तुत करता है।  
 
महामहिम ने आगे कहा आज हर कोई कहता है कि देश मे भष्टाचार बढ रहा है मैं कहता हूं कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हम सब को एकजुट होना होगा। आप सभी को सात्विक जीवन, सहज, विन्रमता वाला जीवन जीना होगा तब आप जो भी कमाते हो उसी मे संतुष्ट हो जायोगें। उन्होने आगे कहा मैं पूर्ण रूप से शाकाहारी हूं। मैं असम, केरल और तमिलनाडू मे राज्यपाल रहा हूं वहां राजभवन पूर्ण रूप से शाकाहारी कर दिया। अब मंैे पंजाब राजभवन मे आया हूं इसको भी पूर्ण रूप से शाकाहारी कर दिया है। महामहिम ने आगे कहा अच्छा सोचे, अच्छा कार्य करे, सभी के भले मे काम आये यही जीवन का असली मकसद है।  जो भी बोले वही करे उसी को संस्कार कहा जाता है।

राज्यपाल के आगमन पर होने वाले ताम छाम पर मनीषीसंत का  जोरदार कटाक्ष
कार्यक्रम दौरान मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक द्वारा राज्यपाल मे हो रहे शान शौकत, खाने पीने आदि के  ताम छाम पर पर महामहिम बनवारी लाल पुरोहित ने जब मैं तमिलनाडू, असम और मेघालय का राज्यपाल रहा तो वहां का बजट 2 करोड 80 लाख के पार जाता था लेकिन जब मैं वहां का राज्पाल बना तब वहां का बजट 80 लाख हो गया है। मैं मुनिश्री द्वारा कही बात पर अमल करूंगा। फालतू की चीजे बंद हो गई, मै गवर्नर रहते हुए कभी स्पैशल विमान मे बैठा ही नही  हूं, मैने सदा इकॉनोमी क्लास मे पूरी जिंदगी ट्रैवल किया है। 
हमारे सामने समस्या यह है कि हम कैसे मापें उस आकाश को? कैसे बांधे उस समंदर को? कैसे गिने वर्षा की बूंदों को? आचार्य तुलसी की मानव उत्थान की उपलब्धियां उम्र के पैमानों से इतनी ज्यादा हैं कि उनके आकलन में गणित का हर फॉर्मूला छोटा पड़ जाता है।


मैं शुद्ध शाकाहारी हूं और हर राजभवन को शाकाहारी करता आ रहा हूं
महामहिम ने आसाम का राज्पाल रहा वहां शुद्ध शाकाहारी कर दिया। मेघालय गया तो कहने लगे यहां कैसे करोगे मैने कहा कर देगे वहां भी कर दिया, फिर तमिलनाडू यहां पर भी पूरा राजभवन शाकाहारी है और अब मेैं पंजाब राजभवन मे हूं वह भी पूर्ण शाकाहारी हेै।  

संयम ही जीवन है: मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक 
आचार्यश्रीतुलसी द्वारा  जो अणुव्रत का शंखनाद किया गया अगर उसके नियमों पर देश चले तो देश का विकास संभव है। जब तक व्यक्ति अणुव्रत के नियमों पर नहीं चल सकता तब तक व्यक्ति का निर्माण नही हो सकता। अणुव्रत के नियम जिस दिन राष्ट्र के बच्चे बच्चे मे समा गए तो निश्चित ही उसी दिन से देश मे सभी झगडो, परेशानियों की असली जड कट जाएगी। आज हर कोई कहता है कि परिवार बिखर रहे हैं टूट रहे है परंतु परिवारों मे लगातार बिखराव व टूटने की दरारे कहां से पनप रही है कोई उसकी तरफ ध्यान नही दे रहा, एक बाप कितने चाव से घर की आधारशिला रखता है, लेकिन आज उस आधारशिला की ईंटे इतनी कमजोर  पड़ गई हैं कि जितना मर्जी सीमेंट लगा लो, वो आपस में जुडऩे का नाम ही नहीं लेती।  क्या हो गया है हमको क्यों ऐसा कर रहे हैं हम? बातें तो हम बहुत करते हैं, लेकिन खुद में आये बदलाव को बिलकुल नजऱ अंदाज़ कर रहे हैं।  दिखावे के लिए रिश्तों को निभाना कुछ  एहमियत नहीं रखता, जब तक आप उसे दिल से न माने।  समाज व देश को एकसूत्र में जोडऩे का अगर कोई कार्य कर सकता है तो वह अणुव्रत आंदोलन है।
आचार्य तुलसी सचमुच व्यक्ति नहीं, वे धर्म, दर्शन, कला, साहित्य और संस्कृति के प्रतिनिधि ऋषि-पुरुष थे। उनका संवाद, साहित्य, साधना, सोच, सपने और संकल्प सभी मानवीय-मूल्यों के उत्थान और उन्नयन से जुड़े थे जिनका हर संवाद संदेश बन गया।   प्रखर बुद्धि के धनी, युग दृष्टा आचार्य तुलसी आचरण व व्यवहार को उतनी ही प्राथमिकता देते थे जितना कोई संत अध्यात्म को देता है। वे व्यावहारिक जीवन की कठिनाइयों को पहचानते थे अत: कभी अव्यावहारिक नहीं बने। धर्म और व्यवहार को उन्होंने कभी एक तराजू में सम नहीं रखा। वे सदैव सचेत करते थे कि व्यवहार में धर्म सम्मत्तता ऊध्र्वगामी बने यह प्रयोग होना चाहिए, किंतु सामान्य व्यवहार को धर्म मान लेना उन्हें अभीष्ट नहीं था।

अणुव्रत समिति के अध्यक्ष मनोज  जैन को राज्पाल ने किया सम्मानित
अणुव्रत समिति के अध्यक्ष मनोज जैन को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं व सच्ची लगन व ईमानदारी के कार्यो से प्रसन्न होकर महामहिम बनवारी लाल पुरोहित ने पद चिन्ह देकर सम्मानित किया।