आप, कांग्रेस के सीएम पद के चेहरे
- By Vinod --
- Tuesday, 18 Jan, 2022
AAP, the face of Congress's CM post
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा सामने लाकर विरोधियों से एक कदम आगे रख दिया है। हालांकि कांग्रेस की ओर से भी इसकी कोशिश की गई है और उसमें निवर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को ही पार्टी की ओर से अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया गया है। हालांकि यह सांकेतिक है और अभिनेता सोनू सूद जिनकी बहन अब मोगा से कांग्रेस उम्मीदवार हैं, के द्वारा यह प्रचारित कराया गया है। जाहिर है, कांग्रेस आलाकमान इसका साहस अभी नहीं कर पाएगा कि वह सीधे-सीधे किसी का नाम मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में सामने लाए। सोनू सूद एक वीडियो जिसे कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर पेश किया गया है, में कह रहे हैं कि असली चीफ मिनिस्टर वही है, जिसे जबरदस्ती कुर्सी पर लेकर आया जाए, उसको मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए संघर्ष नहीं करना पड़े, उसको बताना न पड़े कि मैं चीफ मिनिस्टर कैंडिडेट हूं, मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी डिजर्व करता हूं। सोनू सूद के हवाले से यह सब बातें क्यों कहलाई गई हैं, यह तो कांग्रेस ही बता सकती है, लेकिन एक मुख्यमंत्री पद के दावेदार के संबंध में इतना गुरु ज्ञान अभिनेता सोनू सूद अगर दे रहे हैं, तो यह साबित करता है कि उनसे यह कराया जा रहा है। उनकी बहन मालविका सूद को कांग्रेस में शामिल कराने वालों में प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी थे, लेकिन अब जब सिद्धू भी पंजाब मॉडल को लेकर मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठोक रहे हैं तो उनके संबंध में कोई चर्चा नहीं हो रही।
निवर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनावों की घोषणा से भी बहुत पहले कहा था कि वे अगले मुख्यमंत्री की रेस में नहीं हैं। उनके इस बयान को उनकी विनम्रता समझा गया था, हालांकि समय के साथ कांग्रेस में समीकरण बदलते गए हैं और प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू की ओर से जिस प्रकार खुद को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में खुद ही स्थापित करने की कोशिश की गई है, उसके बाद से मुख्यमंत्री चन्नी भी सक्रिय हो गए हैं। अब हाईकमान की ओर से अपने ट्विटर हैंडल पर इस वीडियो को डालकर यह जताया गया है कि जैसे उसकी सहमति भी चन्नी के प्रति है। कांग्रेस ने अभिनेता सोनू सूद को आगे करके पंजाब में प्रचार की तैयारी की है, यह उसकी शुरुआत भर है कि मुख्यमंत्री कैसा होना चाहिए। सूद जनता की राय को सामने ला रहे हैं कि वह जिसे पद की भूख न हो और जो यह न कहे कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहता है, उसे ही मुख्यमंत्री का चेहरा होना चाहिए। वैसे, कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए हमेशा ही एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति रहती है। किसी भी प्रदेश का उदाहरण सामने रखें, वहां अनेक उम्मीदवार सामने आते हैं, हालांकि फिर हाईकमान किसी एक नाम जोकि उसके सर्वाधिक नजदीक होता है, का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सामने कर देती है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ इसके उदाहरण हैं, जहां पर बगावत का आग बेशक ठंडी पड़ चुकी है, लेकिन उसमें चिंगारी फूटने को हमेशा तैयार रहती है। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने एक स्थापित राजनेता और मुख्यमंत्री का करियर साइडलाइन करवा कर अपने लिए जगह बनाई है, कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धू का नाम भी आगे आया था, लेकिन फिर उन्हें साइडलाइन कर दिया गया। इस समय सिद्धू अकेले ही अपने नाम को आगे बढ़ा रहे हैं, क्या चन्नी उन्हें स्वीकार्य होंगे, इस पर काफी संशय है।
इस बीच आम आदमी पार्टी ने अपनी तय रणनीति के तहत भगवंत मान को पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर दिया है। इस समय आप के लिए पंजाब मे मान के अलावा कोई ऐसा चर्चित चेहरा नहीं है, जिसे पार्टी आगे रख सके। आप का दावा है कि जनता से की गई रायशुमारी में 21 लाख लोगों ने यह बताया है कि भगवंत मान ही आप के सीएम चेहरे होने चाहिए। पार्टी ने कोई चॉइस रखी ही नहीं थी, इसलिए यह तय था कि मान के नाम पर ही सहमति दी जाएगी। हालांकि आप के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कुंवर विजय प्रताप सिंह को भी मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने के लिए राय दी गई है, लेकिन केजरीवाल खुद इससे इनकार कर चुके हैं, वहीं उनके नाम का ऐलान पार्टी को भारी भी पड़ता। क्योंकि तब विरोधी बाहरी को पंजाब पर थोपने का आरोप लगाते। गौरतलब है कि भगवंत मान इस समय संगरूर से सांसद हैं, पार्टी में तमाम उतार-चढ़ाव के बीच वे केजरीवाल के साथ बने रहे हैं। पंजाब की सियासत में मान ने काफी संघर्ष किया है, पार्टी में उनके विरोधी ही मान रहे हैं कि इस समय भगवंत मान का नाम अगर आगे नहीं बढ़ाया जाएगा तो इससे पार्टी को नुकसान होगा। उन्होंने तमाम सीटों पर जाकर लोगों को आप के लिए संगठित किया है, सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि माझा और दोआबा में आप की स्वीकार्यता बढ़ रही है। इन इलाकों में जनता आप को पसंद कर रही है, इसके लिए जहां भगवंत नाम को श्रेय दिया जा रहा है, वहीं अरविंद केजरीवाल पर भरोसा किया जा रहा है। आप और कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे सामने आने के बाद राज्य की सियासत में घमासान और तेज होगा। अब आप की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है लेकिन कांग्रेस में तकरार चरम पर पहुंचने की आशंका है। यह भी खूब है कि शिअद-बसपा गठबंधन और भाजपा की ओर से अभी कोई ऐसी घोषणा नहीं की गई है। राज्य में इन राजनीतिक दलों की सक्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्या यह मान लिया जाए कि विरोधी इस बार पंजाब की जनता का मन अच्छी तरह भांप चुके हैं। बदलाव जरूरी है और पंजाब को इस समय इसकी सख्त जरूरत है।