93 couples tied the knot in the Nirankari mass marriage ceremony organized in the holy presence of Satguru

सतगुरु के पावन सान्निध्य में आयोजित निरंकारी सामूहिक विवाह समारोह में 93 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

93 couples tied the knot in the Nirankari mass marriage ceremony organized in the holy presence of S

93 couples tied the knot in the Nirankari mass marriage ceremony organized in the holy presence of S

93 couples tied the knot in the Nirankari mass marriage ceremony organized in the holy presence of Satguru- चंडीगढ़ / पंचकुला /मोहाली / पिंपरी, पुणे 28 जनवरी, 2025: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं आदरणीय निरंकारी राजपिता जी के पावन सान्निध्य में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के कई राज्यों एवं दूर देशों से आये 93 युगल परिणय सूत्र में बंधे। महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के विधिवत समापन के उपरान्त पिंपरी पुणे स्थित मिलिटरी डेअरी फार्म ग्राउंड के समागम स्थल पर ही इस समारोह का आयोजन किया गया।

नव विवाहित वर-वधुओं को सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने एक दूसरे का आदर-सत्कार करते हुए कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए परस्पर प्रेम एवं भक्ति भाव से युक्त होकर जीवन जीने का आशीर्वाद प्रदान किया तथा निरंकारी पद्धति द्वारा सादे विवाह को अपनाने के लिए उनके परिवारों का अभिनंदन करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी। इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में पारम्परिक जयमाला के साथ निरंकारी विवाह का विशेष चिन्ह सांझा-हार भी प्रत्येक जोड़े को मिशन के प्रतिनिधियों द्वारा पहनाया गया। तदोपरान्त आदर्श गृहस्थ जीवन जीने की शिक्षा प्रदान करने वाली निरंकारी लावें पढ़ी गई।

समारोह के दौरान सतगुरु माता जी एवं आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने वर-वधू पर पुष्प वर्षा कर अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम में उपस्थित वर-वधू के सम्बधित परिजनों एवं साध संगत ने भी पुष्प-वर्षा की। निश्चित रूप से यह एक अलौकिक दृश्य था।

आज के इस शुभ अवसर पर महाराष्ट्र के पुणे, कोल्हापुर, सोलापुर, सातारा, डोंबिवली, छत्रपती संभाजीनगर, अहिल्यानगर, धुले, नासिक, नागपुर, वारसा, चिपलुन और खरसई आदि विभिन्न स्थानों के अतिरिक्त गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना राज्यों एवं विदेश से कुल 93 युगल सम्मिलित हुए। सामूहिक विवाह के उपरांत सभी के लिए भोजन की समुचित व्यवस्था समागम स्थल पर की गई।

उल्लेखनीय है कि सादा शादियों के अंतर्गत काफी संख्या में स्नातक, स्नातकोत्तर एवं उच्च शिक्षित नौजवानों के रूप में वर-वधुओं का समावेश दिखा। कुछ परिवार ऐसे भी थे जो अपने बच्चों की शादी बड़े धूमधाम से कर सकते थे। लेकिन सतगुरु की पावन छत्रछाया में उनकी दिव्य शिक्षाओं को अपनाते हुए निरंकारी पद्धति के अनुसार सादे रूप में शादी करके समाज के सामने उन्होंने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया। निसंदेह सादा शादियों का यह अलौकिक दृश्य जाति, वर्ण की विषमता को मिटाकर एकत्व का सुंदर संदेश प्रस्तुत कर रहा था जो निरंकारी मिशन का संदेश भी है।