पॉवर कार्पोरेशन का पीएफ घोटाला : पूर्व निदेशक वित्त व जीएम से 922-922 करोड़ की वसूली होगी, जीएम बर्खास्त
पॉवर कार्पोरेशन का पीएफ घोटाला : पूर्व निदेशक वित्त व जीएम से 922-922 करोड़ की वसूली होगी, जीएम बर्ख
लखनऊ। बिजली कर्मियों के 2778.30 करोड़ रुपये के बहुचर्चित भविष्य निधि (पीएफ) घोटाले में पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने बड़ी कार्रवाई की है। प्रबंधन ने तत्कालीन महाप्रबंधक (वित्त एवं लेखा) एवं सचिव (ट्रस्ट) प्रवीन कुमार गुप्ता को बर्खास्त कर दिया है। कारपोरेशन के तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधान्शु द्विवेदी और प्रवीन गुप्ता से डीएचएफएल (दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी) में निवेश से डूबे 1845.68 करोड़ रुपये की वसूली की जाएगी।
पहले ही सेवानिवृत हो चुके जेल में बंद सुधान्शु द्विवेदी की पेंशन में भी शत-प्रतिशत की कटौती होगी। घोटाले की जांच सीबीआइ कर रही है। इस संबंध में सीबीआइ ने पावर कारपोरेशन में तैनात रहे तीन आइएएस अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की अनुमति भी राज्य सरकार से मांगी है। इनमें कारपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष संजय अग्रवाल व आलोक कुमार प्रथम और प्रबंध निदेशक अपर्णा यू. हैं।
सामान्य भविष्य निधि ट्रस्ट एवं अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट में जमा बिजलीकर्मियों के अंशदान का 2778.30 करोड़ रुपये नियम विरुद्ध तरीके से असुरक्षित माने जाने वाले डीएचएफएल में जमा करने और उसमें से लगभग 1845.68 करोड़ रुपये की क्षति के दोषियों खिलाफ पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज ने शनिवार को वसूली और बर्खास्तगी संबंधी आदेश जारी किए। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन महाप्रबंधक (वित्त एवं लेखा) एवं सचिव (ट्रस्ट) प्रवीन कुमार गुप्ता को बर्खास्त किया गया है। गुप्ता से सामान्य भविष्य निधि ट्रस्ट एवं अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट के डूबे कुल 1845.68 करोड़ रुपये में से 50 प्रतिशत 922.84 करोड़ रुपये वसूलने के भी आदेश किए गए हैं। घोटाला सामने आने के बाद जेल गए गुप्ता तब से निलंबित चल रहे थे। दो दिन बाद ही गुप्ता सेवानिवृत्त होने वाले थे। पिछले दिनों ही गुप्ता जेल से बाहर आए हैं।
कारपोरेशन के तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधान्शु द्विवेदी भी घोटाले के पूरी तरह से दोषी पाए गए हैं। चूंकि जेल में बंद सुधान्शु पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं इसलिए उनको मिल रही पेंशन में 100 प्रतिशत की कटौती के आदेश दिए गए हैं। घोटाले से डूबे 1845.68 करोड़ रुपये में से 50 प्रतिशत यानी 922.84 करोड़ रुपये की वसूली सुधान्शु से करने के आदेश दिए गए हैं। कारपोरेशन के अध्यक्ष ने बताया कि घोटाला सामने आने के बाद इन दोनों के खिलाफ ही विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी इसलिए जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की गई है। तत्कालीन प्रबंधन निदेशक एपी मिश्र के सेवानिवृत होने के चार वर्ष गुजर जाने के कारण, कारपोरेशन प्रबंधन के स्तर से उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है।
सीबीआइ को अभियोजन स्वीकृति का इंतजार : पीएफ घोटाले के सामने आने के बाद योगी सरकार ने पहले-पहल इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंपी थी। जांच में दोषी पाए गए पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी मिश्र, निदेशक (वित्त) सुधान्शु द्विवेदी व यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट के सचिव प्रवीर कुमार गुप्ता समेत 17 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इस बीच बिजलीकर्मियों के आक्रोश को देखते हुए सरकार ने घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंप दी। सीबीआइ द्वारा केस दर्ज कर घोटाले की जांच की जा रही है।
जांच के संबंध में सीबीआइ, पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष संजय अग्रवाल व आलोक कुमार प्रथम और प्रबंध निदेशक अपर्णा यू. के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की अनुमति पिछले दिनों राज्य सरकार से मांग चुकी है। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि अभी अनुमति देने संबंधी मामला विचाराधीन है।गौरतलब है वर्ष 2013 से 2017 के बीच अध्यक्ष रहे 1984 बैच के संजय अग्रवाल वर्तमान में केंद्रीय कृषि सचिव हैं। वर्ष 2017 से 2019 तक अध्यक्ष रहे 1988 बैच के आलोक कुमार इस समय केंद्रीय ऊर्जा सचिव हैं। पावर कारपोरेशन की प्रबंध निदेशक रही वर्ष 2001 बैच की अपर्णा यू. स्वास्थ्य सचिव र्हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी पीएफ घोटाले में मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज कर अपनी जांच कर रही है।
बोर्ड बैठक की तारीख में भी हुआ था खेल : डीएचएफसीएल को दिये गये अप्रूवल को ट्रस्ट बोर्ड की मंजूरी दिलाने के लिए 22 मार्च 2017 को दो साल बाद पहली बैठक बुलाई गई थी। पांच सदस्यीय बोर्ड की बैठक में पावर कारपोरेशन के तत्कालीन तत्कालीन अध्यक्ष संजय अग्रवाल, एमडी एपी मिश्रा, निदेशक वित्त सुधांशु त्रिवेदी, महाप्रबंधक व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता तथा निदेशक कार्मिक सत्यप्रकाश पांडेय (दिवंगत हो चुके) मौजूद थे। जांच में सामने आ चुका है कि वास्तव में 22 मार्च को हुई बैठक को लिखापढ़ी में 24 मार्च को होना दिखाया गया था।
ब्रोकर फर्मों के जरिए वसूला गया था कमीशन : डीएचएफएल में निवेश कराने के बदले कई ब्रोकर फर्मों के जरिए करोड़ों रुपये की दलाली खाई जाने की बात सामने आ चुकी है। तत्कालीन सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता के बेटे अभिनव गुप्ता ने इसमें सबसे अहम भूमिका निभाई थी। कई फर्जी ब्रोकर फर्मों के जरिए कमीशन की रकम को ठिकाने लगाया गया था। ईओडब्ल्यू ने अभिनव गुप्ता, फर्जी ब्रोकर फर्म संचालक आशीष चौधरी व चार चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी गिरफ्तार किया था।