फर्जी स्टाम्प मामले में नाना और नाती समेत 7 गिरफ्तार, कई राज्यों में नेटवर्क फैले होने का अंदेशा

फर्जी स्टाम्प मामले में नाना और नाती समेत 7 गिरफ्तार, कई राज्यों में नेटवर्क फैले होने का अंदेशा

Fake Stamp Case

Fake Stamp Case

Fake Stamp Case: उत्तर प्रदेश की गोरखपुर पुलिस ने नकली स्टाम्प बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के सात आरोपियों को अरेस्ट किया है. इनके पास से एक करोड़ 52 हजार 30 रुपये के नकली स्टाम्प और प्रिन्टिग से सम्बन्धित उपकरण बरामद किए हैं. गिरफ्तार आरोपियों में 84 साल का मोहम्मद कमरूद्दीन भी है.

एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्तों में 84 साल का मोहम्मद कमरूद्दीन, साहेबजादे, रामलखन जायसवाल, ऐश मोहम्मद, रविन्द्र दीक्षित, सन्तोष गुप्ता, नन्दू उर्फ नन्दलाल को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि एक प्रकरण में न्यायालय में सिविल सूट सं0 10/21 दाखिल किया गया था , जिसमें कोर्ट फीस के रूप में 53,128 रूपये का स्टाम्प लगाया गया था.

मुकदमें में मेरिट के आधार पर निस्तारण होने पर कोर्ट फीस वापस नहीं होती है. अभियुक्त द्वारा इसी बात का फायदा उठाने के उद्देश्य से फेक स्टाम्प विक्रय किया गया था, चूंकि केस में सुलह समझौता के आधार पर मुकदमे का निस्तारण लोक अदालत में हुआ था. ऐसे में स्टाम्प वापसी हेतु आवेदन कोषागार कार्यालय गोरखपुर में किया गया. उक्त फेक स्टाम्प सदर तहसील गोरखपुर के कोषागार से जारी न होने के कारण उसकी जांच भारतीय प्रतिभूति मुद्रणालय नासिक प्रयोगशाला से कराई गयी तो 05-05 हजार के दस स्टाम्प (कुल 50 हजार) फेक पाए गए.

केस दर्ज किया गया था

इसके संबंध में उपनिबंधक प्रथम सदर तहसील गोरखपुर के प्रार्थना पत्र के आधार पर मुकदमा पंजीकृत किया गया था. जांच के दौरान अभियुक्त रवि दत्त मिश्रा को 19.01.2024 को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जा चुका है, जिससे पूछताछ के दौरान अन्य अभियुक्तों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त हुई.

जानकारी के मुताबिक, अभियुक्त कमरूद्दीन, साहेबजादे व नवाब आरजू उर्फ लालू तीनों मिलकर बिहार के सिवान जिले में फेक स्टाम्प, टिकट, करेन्सी नोट आदि स्वयं द्वारा प्रिन्टिग कर तैयार करते थे, जिन्हे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, सहित अन्य जनपदों व बिहार राज्य में स्टाम्प वेडरों से सम्पर्क कर सप्लाई करते थे, जिनका प्रयोग न्यायालय में दाखिल वाद व लोगों द्वारा कराये जा रहे रजिस्ट्री बैनामा में पूर्ण प्रतिफल देते हुए स्टाम्प वेडरों से क्रय करते थे.

एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि इससे पहले कमरूद्दीन को वर्ष 1986 व 2014 में उक्त अपराध में गिरफ्तार कर बिहार पुलिस द्वारा जेल भेजा चुका था. साथ ही अभियुक्त नवाब आरजू उर्फ लालू भी उक्त प्रकृति के अपराध में कुछ वर्ष पूर्व जेल गया था, जो एक वर्ष पूर्व ही जमानत पर रिहा हुआ है. बिहार पुलिस की ओर से अभियुक्त नवाब आरजू उर्फ लालू की तलाश की जा रही थी, जिसके डर के कारण उक्त अभियुक्तगण अपना कारोबार जनपद गोरखपुर में स्थापित करना चाहते थे. उन्होंने बताया कि मेरी तरफ से घटना का पर्दाफाश व बरामदगी करने वाली पुलिस टीम को 25000 रुपय़े का पुरस्कार प्रदान किया गया है.