61 विधायकों ने पूछे 655 सवाल, विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता बोले- मानसून सत्र की तैयारियां पूरी
61 MLAs asked 655 questions
24 अगस्त को होगा सर्वश्रेष्ठ विधायक का चयन
चंडीगढ़, 11 अगस्त: 61 MLAs asked 655 questions: 25 अगस्त से शुरू होने वाले हरियाणा विधान सभा के मानसून सत्र को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सत्र के शुभारंभ से पहले 24 अगस्त को कार्य सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक होगी, जिसमें विधायी कामकाज को लेकर विस्तार से चर्चा होगी। 24 अगस्त को ही नियम समिति और सर्वश्रेष्ठ विधायक के चयन के लिए गठित कमेटी की भी बैठक होंगी।
विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि मानसून सत्र के लिए 61 विधायकों की ओर से 396 तारांकित और 259 अतारांकित कुल मिलाकर 655 प्रश्नों की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। 19 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, 1 गैर सरकारी प्रस्ताव, 1 अल्प अवधि चर्चा के लिए प्रस्ताव और एक प्राइवेट सदस्य विधेयक की सूचना मिली है। प्राइवेट सदस्य विधेयक विधि परामर्श के लिए विधि एवं विधायी विभाग के पास भेजा गया है।
24 अगस्त को कार्य सलाहकार समिति की अध्यक्षता विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता करेंगे। इस समिति में मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, संसदीय कार्य मंत्री कंवर पाल, गृह मंत्री अनिल विज, नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और विधान सभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा सदस्य हैं।
गौरतलब है कि बजट सत्र को प्रभावी बनाने के लिए विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने व्यापक व्यवस्थाएं करवा रहे हैं। इस सिलसिले में उन्होंने नई परंपरा स्थापित करते हुए कार्य सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक भी सत्र शुरू होने से कम से कम एक दिन पहले बुलानी शुरू की है। पहले यह बैठक आमतौर पर सत्र के प्रथम दिन ही होती थी।
ये सर्वश्रेष्ठ विधायक चुनने के मापदंड
सर्वश्रेष्ठ विधायक चुनने वाली समिति की अध्यक्षता भी विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता करेंगे। इस समिति में मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, संसदीय कार्य मंत्री कंवर पाल, नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और विधान सभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा सदस्य हैं। यह समिति इन मापदंडों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ विधायक का चयन करती है :
- विधायक का विधायी कामकाज का अनुभव।
- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों के प्रति जागरूकता।
- भाषा में प्रवीणता।
- सदन में सदस्य की उपस्थिति।
- सदन में समय सीमा में अपनी बात रखना।
- उठाए गए मुद्दों की विविधता और गहराई।
- महत्वपूर्ण जन कल्याण नीति निर्माण के प्रति जागरूकता।
- सदन की चर्चा में योगदान।
- प्रक्रिया के नियमों का पालन, सदन की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखने में योगदान।
- विभिन्न समितियों में योगदान।
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