वित्त वर्ष 2023 तक 4 लेबर कोड लागू होने की संभावना, कई राज्यों ने तैयार किए ड्राफ्ट नियम
वित्त वर्ष 2023 तक 4 लेबर कोड लागू होने की संभावना, कई राज्यों ने तैयार किए ड्राफ्ट नियम
वेतन, सोशल सिक्योरिटी, औद्योगिक संबंध और व्यवसाय सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर चार श्रम संहिताएं (Labour Codes) अगले वित्तीय वर्ष तक लागू होने की संभावना है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कम से कम 13 राज्यों में इन कानूनों पर मसौदा नियम पहले से जारी कर दिए हैं. केंद्र ने इन कोड्स के तहत नियमों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया है और अब राज्यों को अपनी ओर से नियम बनाने की जरूरत है क्योंकि श्रम एक समवर्ती विषय है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चार श्रम संहिताओं के अगले वित्तीय वर्ष तक लागू होने की संभावना है क्योंकि बड़ी संख्या में राज्यों ने इन पर मसौदा नियमों को अंतिम रूप दिया है. केंद्र ने फरवरी 2021 में इन कोड्स पर मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन चूंकि श्रम एक समवर्ती विषय है, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य इसे भी एक बार में लागू करें.
केंद्रीय श्रम मंत्री (Union Labour Minister) भूपेंद्र यादव ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा में एक जवाब में कहा था कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता ही एकमात्र कोड है जिस पर कम से कम 13 राज्यों ने मसौदा नियमों को पहले ही जारी कर दिया है.
24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा वेज कोड (Wage Code) पर सबसे अधिक मसौदा अधिसूचनाएं पूर्व-प्रकाशित की गई हैं. इसके बाद इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड (Industrial Relations Code) (20 राज्यों द्वारा) और सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code) (18) राज्यों द्वारा जारी किया गया है.
उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार और कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने चार लेबर कोड्स के तहत नियम जारी किए हैं. केंद्र सरकार बाकी राज्य सरकारों के साथ मिलकर चारों संहिताओं के तहत नियम बनाने का प्रयास कर रही है.
केंद्र सरकार ने चार श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया है. 8 अगस्त, 2019 को वेज कोड, 2019 और इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 और 29 सितंबर 2020 को सोशल सिक्योरिटी कोड, 2020 व ऑक्युपेशनल सेफी, हेल्थ एंड वर्किंग कोड 2020 को नोटिफाई किया.
हालांकि, केंद्र और राज्यों को इन कानूनों को संबंधित अधिकार क्षेत्र में लागू करने के लिए चार संहिताओं के तहत नियमों को अधिसूचित करने की जरूरत है. कोड्स के तहत नियम बनाने की शक्ति केंद्र सरकार, राज्य सरकार और उपयुक्त सरकार को सौंपी गई है और सार्वजनिक परामर्श के लिए 30 या 45 दिनों की अवधि के लिए उनके आधिकारिक राजपत्र में नियमों के प्रकाशन की आवश्यकता है.
मंत्री के जवाब के अनुसार, वेतन संहिता पर मसौदा नियम 24 राज्यों द्वारा पूर्व-प्रकाशित किए जाते हैं. ये राज्य मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, पंजाब, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, राजस्थान, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, गोवा, मिजोरम, तेलंगाना, असम, मणिपुर, केंद्र शासित प्रदेश हैं. जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी और दिल्ली के जीएनसीटी हैं.
कम से कम 18 राज्यों ने सोशल सिक्योरिटी कोड्स पर नियमों का मसौदा पूर्व-प्रकाशित किया है. ये राज्य मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, असम, गुजरात, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर हैं.
श्रम मंत्रालय ने औद्योगिक संबंध, वेतन, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा संहिता को एक अप्रैल, 2021 से लागू करना था. इन चार संहिताओं से 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को सुसंगत किया जा सकेगा.
मंत्रालय ने इन चार संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है. लेकिन कई राज्य इन नियमों को अधिसूचित करने की स्थिति में नहीं हैं ऐसे में इनका कार्यान्वयन अभी संभव नहीं है.