टाटा कैपिटल समेत 15 NBFC ने अपना लाइसेंस RBI को लौटाया, जानिए क्या है वजह

टाटा कैपिटल समेत 15 NBFC ने अपना लाइसेंस RBI को लौटाया, जानिए क्या है वजह

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NBFC: देश के फाइनेंशियल सिस्टम से अब 15 एनबीएफसी (NBFC) बाहर हो गई हैं. इन सभी कंपनियों ने अपना सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को वापस कर दिया है. इनमें से 6 कंपनियों ने एनबीएफसी बिजनेस से बाहर हो जाने के चलते अपना लाइसेंस आरबीआई को वापस कर दिया है. बाकी कंपनियों ने विभिन्न कारणों के चलते अपने-अपने एनबीएफसी लाइसेंस सरेंडर किए हैं. 

बिजनेस से बाहर होने के चलते 6 कंपनियों ने सरेंडर किया लाइसेंस 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, एनबीएफसी बिजनेस से बाहर जाने के चलते विआन ग्रोथ कैपिटल (Vian Growth Capital), ड्रेप लीजिंग एंड फाइनेंस (Drap Leasing and Finance), ज्वेल स्ट्रिप्स (Jewel Strips), रिवॉल्विंग इनवेस्टमेंट (Revolving Investments), अंशू लीजिंग (Anshu Leasing) और एवीबी फाइनेंस (AVB Finance) ने अपने लाइसेंस वापस किए हैं. 

इन 9 कंपनियों ने भी सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन वापस लौटाया 

इसके अलावा मर्जर, एकीकरण और कंपनी बंद हो जाने जैसे कारणों के चलते 9 एनबीएफसी ने अपने लाइसेंस सरेंडर किए हैं. इनमें जेडीएस सिक्योरिटीज (JDS Securities), जोधानी मैनेजमेंट (Jodhani Management), एबीआरएन फाइनेंस (ABRN Finance), टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज (Tata Capital Financial Services), टाटा क्लीनटेक कैपिटल (Tata Cleantech Capital), नेपरोल इनवेस्टमेंट्स (Naperol Investments), यूएसजी फाइनेंशियल सर्विसेज (USG Financial Services), ऊर्जा कैपिटल (Urja Capital) और वंदना डीलर्स (Vandana Dealers) शामिल हैं. 

20 हजार रुपये तक के ही कैश लोन बांटने की निर्देश

इस बीच आरबीआई ने एनबीएफसी को एक पत्र भेजकर 20 हजार रुपये तक ही कैश बांटने की निर्देश दिए हैं. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि कैश देने से पहले इनकम टैक्स नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जाए. हाल ही में इसी नियम के उल्लंघन के चलते आरबीआई ने आईआईएफएल फाइनेंस के गोल्ड लोन बिजनेस पर बैन लगाया था. किसी भी आदमी को लोन अमाउंट का 20 हजार रुपये से ज्यादा कैश में न दिया जाए. केरल में काम करने वाली एनबीएफसी को विशेष निर्देश दिए गए हैं. इनमें मणप्पुरम फाइनेंस (Manappuram Finance) और मुथूट फाइनेंस (Muthoot Finance) शामिल हैं. यह दोनों कंपनियां सबसे बड़ी गोल्ड लोन प्रदाता हैं.