वजन घटाने के लिए 14000 का टीका, जानें क्या है खास इस डोज में

eli lilly weight loss drug india: भारत की मोटापे की समस्या कोई छोटी समस्या नहीं है और बड़ी फार्मा कंपनियां इसी समस्या का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। दरअसल एली लिली ने भारत में बढ़ती मोटापे की दरों के देखते हुए इसका भरपूर फायदा उठाया और मोटापे से लड़ने के लिए मौनजारों नाम की दावा लॉन्च किया है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लैंसेंट के एक अध्यक्ष का हवाला देते हुए भारत में बढ़ते मोटापे के संकट पर भी चिंता जताई और कहा कि 2050 तक भारत में 44 करोड लोग मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि मोटापे के कारण हर तीसरा व्यक्ति गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है।
क्या कहती है डेटा?
Global obesity observatory के डेटा के अनुसार 2019 में भारत में ज्यादा वजन और मोटापे का वित्तीय बोझ 28.95 बिलियन डॉलर था,, जो जीडीपी का एक प्रतिशत है। अनुमान है कि 2060 तक या आर्थिक बोझ 838.6 बिलियन हो जाएगा जो भारत की जीडीपी का 2.5% हिस्सा हो जाएगा। इसी बीच बाजारों में वजन घटाने वाली दवाएं तेज़ी के साथ बढ़ रही हैं, जो पिछले सालों में 30% से ज्यादा बढ़कर 600 करोड़ हो सकती हैं। 100 मिलियन से ज्यादा मोटे वयस्क और 101 मिलियन मधुमेह रोगियों के साथ वैश्विक दवा कंपनियां भारत को वजन घटाने के उपचारों के लिए अगले बड़े युद्ध क्षेत्र के रूप में देखते हैं और इसलिए लगातार वजन घटाने वाली दावों का प्रचार तेजी से बढ़ रहा है।
ऐली लिली ने नोवो नॉर्डिक को हराकर भारतीय बाज़ार में रखा कदम
एक महत्वपूर्ण कदम में यूएसए आधारित ने भारत में मंजारो लॉन्च किया है जो देश में एलपी-1 वजन घटाने वाली दावा पेश करने वाली प्रमुख खिलाड़ी बन गई है। कंपनी ने बताया कि भारत के दवा नियामक द्वारा अनुमोदित एक बार सप्ताह एक इंजेक्शन की 5 मिलीग्राम की शीशी की कीमत 4375 रुपए और 2.5 मिलीग्राम की सीसी की कीमत 3500 रुपए है। जो इसकी सबसे कम खुराक है इसकी उच्चतम खुराक 15 मिलीग्राम है। 2 मिलीग्राम की साप्ताहिक खुराक के लिए एक मरीज को लगभग 14000 रुपए और 5 मिलीग्राम के साप्ताहिक खुराक के लिए कीमत क्रमशः लगभग 17500 प्रति माह पढ़ सकती है। यह भारत में एक प्रीमियम उत्पाद बनाता है।
मोटापा, मधुमेह और स्वस्थ सेवा है चिंता का विषय
मोटापे और टाइप टू डायबिटीज की दरों में तेजी से हो रही वृद्धि के कारण भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आकर खड़ा हो चुका है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार मधुमेह से पीड़ित भारतीय वयस्कों की संख्या 2021 में 74.2 मिलियन से बढ़कर 2045 तक 124 मिलियन से अधिक होने की उम्मीद है। सरकारी डेटा से पता चलता है कि 2019 से 21 के बीच 15 से 49 आयु वर्ग की 24% महिलाएं और 23% पुरुष अधिक वजन वाले या मोटे थे, जो पिछले दशक की तुलना में काफी ज्यादा है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023 24 में पहले ही मोटापे को एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती के रूप में चिन्हित किया है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि अगर फिटनेस के स्तर पर सुधार नहीं हुआ तो भारत का जनसंख्या की लाभांश जोखिम में पड़ सकता है। आपको बता दें कि यह समस्या शहरों में ज्यादा गंभीर है, जहां ओबेसिटी की दर ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में कहीं ज्यादा है शहरी क्षेत्र में पुरुषों में 29.8 प्रतिशत अधिक वजन या मोटे लोग हैं, जबकि गांव में यह 19.3 प्रतिशत है महिलाओं के लिए शहरी दर 33.2 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 19.7% है शहरों में गतिहीन जीवन शैली और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत इस संकट को और भी ज्यादा बत्तर बना रही है।