सीसीपीसीआर का दावा: स्कूलों में छेड़छाड़ के 13 मामले, डायरेक्टर बोले, सभी पुराने
CCPCR claims
सीसीपीसीआर के दावों पर उठे सवाल,आरटीआई में मांगी गई संपूर्ण जानकारी, बतायें कहां कहां आयोजित की वर्कशाप
-पूछा गया कि पकड़े गए मामलों पर क्या की गई कार्रवाई,इसका तुरंत किया जाए खुलासा
चंडीगढ़, 8 नवंबर (साजन शर्मा): CCPCR claims: सेक्टर 37 के एक स्कूल में छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स एक मर्तबा फिर सक्रिय दिखाई दे रहा है। कमीशन की चेयरपर्सन हरजिंदर कौर ने दावा किया है कि उन्होंने एक माह में शहर के विभिन्न स्कूलों में 101 वर्कशॉप आयोजित कर काउंसलिंग की जिस दौरान छेड़छाड़ के 13 मामले सामने आए। इन मामलों में क्या कार्रवाई की गई इसकी जानकारी उनकी ओर से सांझा नहीं की गई। कितने समय में यह केस आए इसको भी स्पष्ट नहीं किया गया। पब्लिक डोमेन में तो इन केसों पर अभी तक कोई खुलासा नहीं हो पाया है। इस दावे को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। चंडीगढ़ में स्कूलों के डायरेक्टर हरसुहिंदरपाल सिंह बराड़ ने कहा है कि जिन केसों का हरजिंदर कौर जिक्र कर रही है वह पुराने केस हैं।
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हाल ही में चंडीगढ़ के सेक्टर 37 डी के स्कूल में बच्ची से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है जिसके बाद सभी पक्ष सक्रिय हो गये हैं। टीचर को आरोपी बनाया गया है और उस पर सेक्टर 36 के थाने में आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया है और फिलहाल वह 14 दिन के पुलिस रिमांड पर है। सीसीपीसीआर एक संवैधानिक संस्था है और उसकी चेयरपर्सन के एक माह में 101 वर्कशाप के दावे के हिसाब से प्रतिदिन कमीशन की ओर से पांच से ज्यादा स्कूलों को कवर किया गया। सीसीपीसीआर चंडीगढ़ सोशल वेलफेयर विभाग को अपनी सभी प्रक्रियाओं में शामिल करता है। सोशल वेलफेयर विभाग की डायरेक्टर पालिका अरोड़ा का कहना है कि उनके विभाग को यह जानकारी उपलब्ध कराई गई या नहीं, इसकी फिलहाल उन्हें जानकारी नहीं है। देखने के बाद ही वह इस पर खुलासा कर सकती हैं। सीसीपीसीआर के अपने काउंसलर्स हैं या सोशल वेलफेयर विभाग के काउंसलर्स बुलाये जाते हैं, इस पर भी उन्होंने पहले चैक करने की बात कही। उधर डायरेक्टर स्कूल हरसुहिंदरपाल सिंह बराड़ का मामले में कहना है कि जिन केसों का जिक्र सीसीपीसीआर की चेयरपर्सन हरजिंदर कौर कर रही हैं वह पुराने (हिस्टोरिकल) मामले हैं। छेड़छाड़ के 13 केसों में कोई नया केस नहीं है। अगर मामले पुराने भी थे तो क्या इन केसों के बारे में स्कूल प्रशासन को सूचना दी गई थी और उनमें क्या कार्रवाई की गई पर उन्होंने गोलमोल जवाब दिया कि सभी मामले कानून के हिसाब से डील किये गए होंगे। सेक्टर 37 डी के स्कूल के मामले में टीचर के फंसने और स्कूल की ओर से कोई इंक्वायरी करने से पहले पर उन्होंने कहा कि टीचरों की ओर से एक रिप्रेजेंटेशन उन्हें मिली है। इस पर उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
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आरटीआई में मांगा ब्यौरा
सीसीपीसीआर के दावे को लेकर एक आरटीआई भी दायर की गई है जिसमें पूछा गया है कि उन 101 स्कूलों का ब्यौरा दिया जाए कि यह यह वर्कशाप कब आयोजित की गई। इन वर्कशॉप का आयोजक कौन था या किसी सरकारी विभाग के सहयोग से इनका आयोजन हुआ। अगर 13 मामले छेड़छाड़ के सामने आए तो इन पर क्या कार्रवाई की गई? आरटीआई मांगने वाले आरके गर्ग ने पूछा है कि कार्रवाई क्या हुई इसको लेकर संशय है क्योंकि पब्लिक डोमेन में तो अभी तक इन कार्रवाइयों का कोई हवाला नहीं है? आरके गर्ग ने पुलिस से भी इन 13 मामलों को लेकर आरटीआई में जानकारी मांगी है। गर्ग ने हैरत जताई कि एक दिन में पांच वर्कशाप से भी ज्यादा वर्कशाप सीसीपीसीआर ने आयोजित कर दी। अगर ऐसा है तो अपने आप में सराहनीय है लेकिन जो 13 छेड़छाड़ के मामले मिले उनकी जानकारी भी पब्लिक के सामने रखी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मामला है। इसमें लीपापोती नहीं होनी चाहिए। जनता को सब स्पष्ट नहीं होना चाहिए।
सेक्टर 29 में आया था मामला
कुछ देर पहले सेक्टर 29 के स्कूल में भी छेड़छाड़ के मामले की शिकायत एक लडक़ी की ओर से की गई थी। यह शिकायत सेक्टर 31 थाने के पास भी पहुंची लेकिन पुलिस ने इसकी बेहतरीन ढंग से हैंडलिंग की। मामला संज्ञान में आते ही तुरंत सोशल वेलफेयर विभाग को इसमें इन्वॉल्व किया गया और तुरंत सरकारी काउंसलर्स को बुलाया गया। काउंसलर्स के सामने आया कि टीचर बायोलॉजी का चैप्टर पढ़ा रहा था जिसको लेकर अश्लील बातें करने की शिकायत की गई थी। बाद में यह शिकायत फर्जी पाई गई। पूर्व डीपीआई कमलेश भादु पर भी एससीएसटी एक्ट के तहत आरोप लगे थे। प्रशासन की दखलांदाजी से मामला सुलट गया। सेक्टर 37 डी के हाल ही में हुए छेड़छाड़ के मामले में शिक्षक नेता अरविंद राणा का कहना है कि स्कूलों में आरटीई के सेक्शन 31 व 32 के अंडर सिस्टम प्रोटोकॉल बना हुआ है। इसे फॉलो करना चाहिए था। प्रिंसिपल के पास तो मामले की शिकायत पहुंची ही नहीं। क्या प्रिंसिपल को पहले नहीं बताया जाना चाहिए था। शिक्षा विभाग के डायरेक्टर हरसुहिंदरपाल सिंह बराड़ के उपयुक्त कार्रवाई वाले बयान पर अरविंद राणा ने कहा है कि सीसीपीसीआर ने एक तरफ पुलिस के पास जांच को भेज दिया तो दूसरा डीईओ की मार्फत स्कूल में इंक्वायरी भेज दी जाएगी। दोनों जगह की रिपोर्ट देख कर आगे कार्रवाई कर दी जाएगी। जो प्रक्रिया पहले होनी चाहिए थी वो बाद में की जाएगी। टीचर 14 दिन के पुलिस रिमांड पर है। इतने समय तक तो रिपोर्ट बन कर तैयार नहीं होगी।
सीसीपीसीआर की चेयरपर्सन हरजिंदर कौर :
ऐसे मामलों में बड़ी गंभीरता से काम करना होता है, लिहाजा एकदम से नहीं बताया जा सकता। हमने बीते एक माह में 101 वर्कशॉप स्कूलों में आयोजित की है। मैं फिलहाल एक मीटिंग में हूं, एकदम से इस पर कुछ नहीं कह सकती।