जात पात के मामलों में केवल IITs में हुई 115 आत्महत्याएं

जात पात के मामलों में केवल IITs में हुई 115 आत्महत्याएं, सुप्रीम कोर्ट ने UGC से मांगा शिकायतों का डेटा

जाति यह एक ऐसा शब्द है जिसको लेकर पुराने समय से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

 

Supreme Court New Verdict: जाति यह एक ऐसा शब्द है जिसको लेकर पुराने समय से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नीचे जाति के लोग यानी जिन्हें एससी एसटी कहा जाता है अक्सर इन्हें कई प्रताड़ना भी झेलनी पड़ती हैं। आज 21वीं सदी में जहां पूरी दुनिया टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इतना आगे चला गया है हर कोई अपने आप को उभारने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी तरफ भारत में आज भी जाति को लेकर लोगों को प्रताड़ना सहनी पड़ती है। सुप्रीम कोर्ट में विश्वविद्यालय में जातिगत भेदभाव को लेकर एक याचिका दायर हुई जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए यूजीसी से शिकायतों का उत्तर मांगा है साथ ही यूजीसी ने कहा है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत मामले काफी गंभीर हैं इसके साथ ही उन्होंने जातिगत मुद्दों पर बने नियमों को लागू करने का भी आदेश दिया है।

 

कई आत्महत्याओं की शिकायत

 

जातिगत भेदभाव वाली याचिका पर मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल की बेंच कर रही थी। कोर्ट को बताया गया की 2004 से लेकर 2024 के बीच यानी 20 सालों में सिर्फ आईआईटी में 115 आत्महत्या हुई है, जो की जातिगत भेदभाव के मामले से जुड़ी थी। जिस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा है की अदालत इस मामले की संवेदनशीलता से परिचित है और 2012 के नियमों को वास्तविकता में बदलने के लिए एक तंत्र खोजने हेतु समय-समय पर इसकी सुनवाई शुरू करेगा। आपको बता दें कि रोहित वेमुला और पायल तडवी की मां की ओर से यह याचिका दायर की गई इन दोनों की आत्महत्या के पीछे शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव को जिम्मेदार बताया गया था याचिका में शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए सशक्त और कारगर मेकैनिज्म बनाए जाने की मांग की गई। याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और यूजीसी को नोटिस भी जारी कर चुका है।

 

UGC से मांगा डेटा

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को निर्देश दिया है, कि वह समान अवसर प्रकोष्ठों की स्थापना के संबंध में विश्वविद्यालय चाहे वह केंद्रीय हो राज्य हो निजी हो या मान्य हो उन सभी से आंकड़े एकत्र कर प्रस्तुत करें तथा यूजीसी नियम 2012 के तहत प्राप्त शिकायतों की कुल संख्या के साथ-साथ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करें।