रुबिक्स क्यूब को हल करने के लिए 11 साल के बच्चे ने बना डाला रोबोट

रुबिक्स क्यूब को हल करने के लिए 11 साल के बच्चे ने बना डाला रोबोट

रुबिक्स क्यूब को हल करने के लिए 11 साल के बच्चे ने बना डाला रोबोट

रुबिक्स क्यूब को हल करने के लिए 11 साल के बच्चे ने बना डाला रोबोट

हैदराबाद। आजकल के बच्चे भी किसी बड़े से कम नहीं है, और बात अगर तकनीक को हो तो वह 21 ही साबित होने वाले हैं। ऐसा ही कमाल का बच्चा हैदराबाद का 11 साल का बच्चा एसपी शंकर है। वह कक्षा 6 के छात्र हैं और इतनी छोटी उम्र में उन्होंने वो कमाल कर दिखाया है जो बड़े भी शायद कर पाएं। शंकर ने एक ऐसा रोबोट इजात किया है जो बिना हाथ लगाए रुबिक्स क्यूब को हल कर देगी। यह रोबोट 3x3 रूबिक्स क्यूब को अपने आप हल करता है।

यूट्यूब से सीखा क्यूब को हल करना

शंकर ने 6 साल की उम्र में ही रुबिक्स की पहेलियों को हल करना शुरू कर दिया था, तब से वे बिना किसी पेशेवर मार्गदर्शन के यूट्यूब (YouTube) पर उपलब्ध सभी ट्यूटोरियल को देखकर लगातार अभ्यास कर रहे हैं। बता दें कि स्पीड-क्यूबर होने के अलावा, शंकर ने कंप्यूटर और कोडिंग कौशल भी विकसित किया है और कुछ प्रोग्रामिंग और रोबोटिक्स भी सीखे हैं।

40 सेकंड में हल हो जाता है रुबिक्स क्यूब

बचपन से ही शंकर को DIY किट का उपयोग करके अलग-अलग रोबोट बनाने का शौक था। बता दें कि लेगो किट का उपयोग करते हुए यूट्यूब पर डेविड (एक पेशेवर) द्वारा डिजाइन किए गए रूबिक के क्यूब-सॉल्विंग रोबोट ने उनका ध्यान आकर्षित किया और अब शंकर खुद रोबोट बनाने में सफल हो गए। शंकर द्वारा बनाया गया क्यूब-सॉल्विंग रोबोट लगभग 15 सेकंड का समय क्यूब के रंग को देखने में लगाता है और इसे केवल 40 सेकंड में हल कर देता है। इसे 40 से 45 स्टेप के साथ हल किया जाता है।

ऐसे काम करता है रोबोट

डेविड के डिजाइन से प्रेरणा लेकर शंकर ने इसी तरह के लेगो किट का उपयोग करके एक रोबोट बनाया है। यह विशेष किट सिंगापुर से खरीदी गई थी, क्योंकि यह भारतीय बाजार में उपलब्ध नहीं है। यह रोबोट एक कोड से भरा गया है जो कि पायथन प्रोग्रामिंग भाषा में लिखा गया है, यह प्रोसेसर रोबोट की बाहों से जुड़ी मोटरों को चलाता है और उस पर स्थापित रंग और दूरी सेंसर से इनपुट लेता है। सारे रंगों को पहचानकर रोबोट कुछ ही सेकेंड में क्यूब को साल्व कर देता है। बता दें कि कोड CFOP (Cross, F2L, OLL, PLL) एल्गोरिथम के अनुरूप लिखा गया है, यह विधि अधिकांश स्पीड क्यूबर्स द्वारा उपयोग की जाती है।

छह विश्व रिकॉर्ड हैं नाम

शंकर की मां दिव्या मंगला का कहना है कि वह अपने जन्म से ही एक बहुत ही जिज्ञासु बच्चा था, उसने यूकेजी में रहते हुए एक DIY सोलर रोबोटिक किट बना दी थी। शंकर हाथ से 15 से 12 सेकंड में एक क्यूब को हल कर सकता है। उसके पास छह विश्व रिकॉर्ड हैं और कुछ पाइपलाइन में हैं। शंकर आइआइटी और एमआइटी में जाकर रोबोटिक्स में करियर बनाना चाहते हैं। यहां बता दें कि डीआइवाइ (DIY) एक ऐसी विधि है जो पेशेवरों या प्रमाणित विशेषज्ञों की प्रत्यक्ष सहायता के बिना चीजों को स्वयं बनाने, संशोधित करने या मरम्मत करने का काम करती है।