'AAP' first, suspense over the mayor; fear of breakage

'आप' प्रथम, मेयर पर सस्पेंस; टूटफूट का अंदेशा

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'AAP' first, suspense over the mayor; fear of breakage

बहुमत के आंकड़े पर पहुंचने के लिए 18 पार्षदों की जरूरत

गठबंधन की राजनीति की ओर बढ़ेंगे कदम या किसी पार्टी में होगी टूट-फूट

आप की अप्रत्याशित जीत ने छुड़ाये भाजपा व कांग्रेस के छक्के

अर्थ प्रकाश/साजन शर्मा

चंडीगढ़, 27 दिसंबर। चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावों के नतीजों के बाद अब अहम सवाल यह है कि मेयर किस पार्टी का बनेगा क्योंकि किसी भी पार्टी को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ है। बहुमत के आंकड़े पर पहुंचने के लिए 18 पार्षदों की आवश्यकता है लेकिन कोई भी दल अपने स्तर पर यहां नहीं पहुंच सकता लिहाजा गठबंधन की राजनीति निगम पर हावी रहने की संभावना है। एक आशंका किसी दूसरी पार्टी में टूट की भी जताई जा रही है क्योंकि भाजपा अपना मेयर बनाने के लिए हर पैंतरा अपना रही है।

आप ने चुनावों में 14 सीटें जीती हैं तो दूसरे नंबर पर भाजपा रही जिसने 12 सीटों पर चुनाव जीता। तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस को महज 8 सीटों से संतोष करना पड़ा जबकि शिरोमणि अकाली दल को एक सीट हासिल हुई। भाजपा के पास एक सांसद किरण खेर का भी वोट है। यानि उनकी गिनती 13 पर पहुंच गई है। भाजपा और आप में महज एक पार्षद की दूरी है। भाजपा अकाली दल के पार्षद को भी अपने खेमे में करने की कोशिश करेगी क्योंकि पहले दोनों दल गठबंधन में रहे हैं। ऐसे में भाजपा का आंकड़ा आप के बराबर 14 पर पहुंच सकता है।

भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस आप को मेयर के लिए समर्थन दे सकती है लेकिन पंजाब में क्योंकि उसका आप से सीधा मुकाबला है लिहाजा कांग्रेस को तो यह कदम पूरी तरह हाशिये पर धकेल सकता है। भाजपा को बैठे बिठाए यह मुद्दा मिल जाएगा कि आप व कांग्रेस में सांठगांठ है। भाजपा के पास कांग्रेस और आप को घेरने का मुद्दा रहेगा क्योंकि भाजपा ने पूर्व मुखयमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी से गठबंधन किया है। सूत्रों के अनुसार फिलहाल कुछ शर्तों के आधार पर या मुद्दों के आधार पर भी कांग्रेस आप को समर्थन दे सकती है। वहीं भाजपा भी फिलहाल मेयर पद हासिल करने के लिए कोर कसर नहीं छोडऩा चाहती। भाजपा साम, दाम, दंड, भेद का हर पैंतरा आजमाएगी। जानकारी के अनुसार दूसरे दलों के ऊपर डोरे डालने के प्रयास भाजपा की ओर से शुरू कर दिये गए हैं। आप की दीवार में तो सेंधमारी फिलहाल मुश्किल लग रही है लेकिन कांग्रेस के जीते उममीदवारों पर उसकी नजर टिकी है हालांकि सूत्र ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस के भी टूटने के आसार कम हैं। अकाली दल के पार्षद को भाजपा अपने खेमे में मिला सकती है। त्रिशंकु नगर निगम में अब कौन सा दल अपना मेयर बनायेगा यह आने वाले कुछ दिनों में तय होगा।

 चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावों में आप की अप्रत्याशित जीत ने जहां भाजपा को चारों खाने चित्त कर दिया वहीं कांग्रेस को भी पूरी तरह से धूल चटा दी। केजरीवाल की निगम के चुनावों में दी गई गारंटियां भाजपा व कांग्रेस दोनों पर भारी पड़ गई। महंगाई व किसानों का मुद्दा भाजपा को ले डूबा हालांकि भाजपा लगातार कह रही थी कि राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे निगम चुनावों पर कोई असर नहीं डालते। भाजपा को उसके नेताओं का अहंकार भी ले डूबा।

कांग्रेस का मत प्रतिशत सबसे ज्यादा, बनी तीसरे नंबर की पार्टी

कांग्रेस को इस चुनाव में सबसे ज्यादा 29.79 प्रतिशत वोट हासिल हुआ लेकिन पार्टी तीसरे नंबर पर रही और यह वोट प्रतिशत वोटों में नहीं बदला। इसी तरह भाजपा को 29.30 प्रतिशत वोट मिली लेकिन भगवा पार्टी दूसरे नंबर पर रही। वहीं पहले नंबर पर रहने वाली पार्टी आप को 27.08 प्रतिशत यानि राष्ट्रीय दलों से 2.25 प्रतिशत कम वोट पड़ा लेकिन फिर भी 14 सीटें जीत गई। शिअद का वोट प्रतिशत 27.08 प्रतिशत रहा और उसे एक सीट हासिल हुई। निर्दलीयों को चुनाव में 7.10 प्रतिशत वोट पड़ा जबकि अन्य के खाते में 6.26 प्रतिशत वोट गए।

चुनाव कमिश्नर ने निगम में एंटी डिफेक्शन बिल को लेकर मांगी जानकारी

चंडीगढ़ के प्रशासक व पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने भी त्रिशंकु निगम के बाद कानूनी राय लेनी शुरू कर दी है। चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल महज एक साल का होता है। 12 जनवरी से पहले पहले मेयर का चुनाव करना जरूरी है। देखना यह बाकि है कि जनवरी के किस दिन चंडीगढ़ को किस पार्टी का मेयर मिलता है।

चुनाव कमिश्नर ने भी एंटी डिफेक्शन लॉ को लेकर ली जानकारी

उधर सैक्टर 17 के चुनाव कमीशन के दफ्तर में पहुंचे चुनाव कमिशनर एसके श्रीवास्तव ने यहां तैनात मुलाजिमों से नगर निगम में एंटी डिफेक्शन लॉ को लेकर तमाम जानकारी मांगी हालांकि इसे सामान्य प्रक्रिया बताया जा रहा है और चुनाव कमीशन का मेयर के चुनाव से अब कोई लेना देना नहीं। चुनाव कमिशनर ने अर्थप्रकाश से बातचीत में कहा कि उन्हें अब दिल्ली नगर निगम के चुनाव निपटाने हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में उनकी टीम ने बेहतरीन काम किया है।   

सबसे कम मार्जन से जीते

निगम के चुनाव में सबसे कम मार्जन से जीतने वाले कांग्रेस के उम्मीदवार गुरप्रीत सिंह गाबी रहे। जिन्होंने वार्ड 34 में भाजपा के भूपेंद्र शर्मा को महज 9 वोटों से हराया। इसी तरह वार्ड 2 मेें महेश इंदर सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के हरमोहिंदर सिंह लक्की से 11 वोटों से हराया। वार्ड 4 से आप पार्टी की सुमन देवी ने भाजपा की सविता गुप्ता को महज 12 वोटों से पटखनी दी। इस वार्ड की 4 बार मतगणना हुई और आखिर में जीत सुमन देवी के हाथ लगी। सुमन देवी को 3286 जबकि सविता गुप्ता को 3274 वोट मिले। 

सबसे अधिक मार्जन से जीत

सबसे बड़े मार्जन से वार्ड 10 प्रत्याशी हरप्रीत कौर बबला ने जीत दर्ज की। उन्होंने भाजपा की राशि भसीन को ३१०३ वोटों से हराया। हरप्रीत कौर बबला को 5767 जबकि राशि भसीन को 2868 वोट मिले। 

बड़ा उलटफेर
इन चुनावों और भी भयंकर उलटफेर हुए हैं। भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष चुनाव हार गई हैं। भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष भी चुनाव हार गये हैं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरूण सूद अपनी सीट यानि वार्ड २५ को भी नहीं बचा पाए।